Friday 9 August, 2013

सहर

होने लगी है अब सहर देखिए
कहां तक होता है असर देखिए

पांवो के छाले क्यूं देखते हैं आप
जानिबे-मंज़िल मेरा सफ़र देखिए

जाने कितने अपनी जां से गए
दोशीजा शबाब का कहर देखिए

भीड़ ही भीड़ नज़र आती है हर सूं
तन्हा-तन्हा सा हर बशर देखिए

नूरे-खुदा नज़र आएगा तुम्हें
बच्चों की मासूम नज़र देखिए

किसकी नज़र लगी है इसे 
सुलगता मेरा शहर देखिए

दैरो-हरम में महदूद रहेगा?
वो है नुमांया जिधर देखिए

-हेमन्त रिछारिया

अर्ज़ किया है-
"छत पे आजा कि तेरी दीद हो जाए
 हम दीवानों की भी ईद हो जाए"

-हेमन्त रिछारिया
९-८-२०१३ (ईद के दिन)