तेरे आसरे पे जिए जा रहा हूं
ज़हर ज़िंदगी का पिए जा रहा हूं
मुझे ज़िंदगी से अदावत नहीं है
समझौता गम से किए जा रहा हूं
तेरी चश्मे-पुरनम बता ये रही हैं
कोई दुखती रग मैं छुए जा रहा हूं
रुसवा कहीं कोई कर दे ना तुझको
हर इल्ज़ाम सर पे लिए जा रहा हूं
ज़हर ज़िंदगी का पिए जा रहा हूं
मुझे ज़िंदगी से अदावत नहीं है
समझौता गम से किए जा रहा हूं
तेरी चश्मे-पुरनम बता ये रही हैं
कोई दुखती रग मैं छुए जा रहा हूं
रुसवा कहीं कोई कर दे ना तुझको
हर इल्ज़ाम सर पे लिए जा रहा हूं
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त
रिछारिया