ज़िंदगी में इस कदर मुश्किलें ना होतीं
गर दिलों में बेइंतहा ख़्वाईशें ना होतीं
दिन तो गुज़र जाता अफरा-तफरी में
काश! तन्हाई की लंबी रातें ना होती
बसा लेते दिल में प्यार का सागर; अगर
अपनों की बेवफाई की यादें ना होती
बारिश का मज़ा ले पाते तब हम भी
जो घर की छ्त में चंद सुराखें ना होती
जो सिखातीं हैं इंसानों को नफ़रत की भाषा
अच्छा होता दुनिया में वो किताबें ना होती