तिश्नगी
Ghazals by Hemant Richhariya
Monday 22 September, 2008
अपने निशां
हस्ती
भले मिट जाये जहाँ से
याद रहें
हम अपने निशां से
शाख से टूटें पर पर ना बिखरें
महकें सदा गुलशन की फिज़ां से
याद हमारी यूं हो हर दिल में
ज्योंं रोशन
महफिल हो शमां से
ऐसे जनाज़ा निकले अपना
जैसे विदा डोली हो मकां से
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