Wednesday 21 May, 2008

....कौन है?

सतह से ही अंदाज़ा लगा लेतें हैं
गहराईयों को अाज देखता कौन है

वो तू था जिसने दामन तर किया
वरना बहते अश्कोंं को पोंंछता कौन है

आंखे देखीं तो समझ में आया मुझको
दिल के राज़ आखिर खोलता कौन है

इक तेरी याद ही जाती नहीं दिल से
रोज़ो-शब तेरे बारे में सोचता कौन है

आज तलक इसी कश्मकश में हूं
रात के दूसरे पहर बोलता कौन है

5 comments:

शोभा said...

हेमन्त जी
बहुत अच्छा लिखा है-
वो तू था जिसने दामन तर किया
वरना बहते अश्कोंं को पोंंछता कौन है

आंखे देखीं तो समझ में आया मुझको
दिल के राज़ आखिर खोलता कौन है
वाह!

अमिताभ said...

इक तेरी याद ही जाती नहीं दिल से
रोज़ो-शब तेरे बारे में सोचता कौन है


very nice !! bahut hi umda

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर !

shamshad ahamad said...

सतह से ही अंदाज़ा लगा लेतें हैं
गहराईयों को आज देखता कौन है
बहुत सुंदर

Amit K Sagar said...

सबकुछ बहुत उम्दा. लिखते रहिये. और भी अच्छा लिखे, कामना करते हैं. शुभकामनायें.
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उल्टातीर: ultateer.blogspot.com