सतह से ही अंदाज़ा लगा लेतें हैं
गहराईयों को अाज देखता कौन है
वो तू था जिसने दामन तर किया
वरना बहते अश्कोंं को पोंंछता कौन है
आंखे देखीं तो समझ में आया मुझको
दिल के राज़ आखिर खोलता कौन है
इक तेरी याद ही जाती नहीं दिल से
रोज़ो-शब तेरे बारे में सोचता कौन है
आज तलक इसी कश्मकश में हूं
रात के दूसरे पहर बोलता कौन है
5 comments:
हेमन्त जी
बहुत अच्छा लिखा है-
वो तू था जिसने दामन तर किया
वरना बहते अश्कोंं को पोंंछता कौन है
आंखे देखीं तो समझ में आया मुझको
दिल के राज़ आखिर खोलता कौन है
वाह!
इक तेरी याद ही जाती नहीं दिल से
रोज़ो-शब तेरे बारे में सोचता कौन है
very nice !! bahut hi umda
बहुत सुंदर !
सतह से ही अंदाज़ा लगा लेतें हैं
गहराईयों को आज देखता कौन है
बहुत सुंदर
सबकुछ बहुत उम्दा. लिखते रहिये. और भी अच्छा लिखे, कामना करते हैं. शुभकामनायें.
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उल्टातीर: ultateer.blogspot.com
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