फ़ज़ाओं से ये पयाम मिला है अभी
किस तरह मेरा गांव जला है अभी
कितने परिन्दे बेघर हो गए देखो
कोई दरख़्त जड़ों से हिला है अभी
इंसानियत कैसे ज़िंदा बच पाएगी
आदम शैतान से जा मिला है अभी
मुनासिब वक्त में हम भी बोलेंगे
जो सच होठों पे सिला है अभी
-हेमन्त रिछारिया
किस तरह मेरा गांव जला है अभी
कितने परिन्दे बेघर हो गए देखो
कोई दरख़्त जड़ों से हिला है अभी
इंसानियत कैसे ज़िंदा बच पाएगी
आदम शैतान से जा मिला है अभी
मुनासिब वक्त में हम भी बोलेंगे
जो सच होठों पे सिला है अभी
-हेमन्त रिछारिया
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