हस्ती भले मिट जाए जहां से
याद रहें हम अपने निशां से
शाख से टूटें पर ना बिखरें
महकें सदा गुलशन की फ़ज़ां से
याद हमारी यूं हो दिल में
जैसे रोशन महफ़िल हो शमां से
ऐसे जनाज़ा निकले अपना
जैसे विदा हो डोली मकां से
-हेमन्त रिछारिया
याद रहें हम अपने निशां से
शाख से टूटें पर ना बिखरें
महकें सदा गुलशन की फ़ज़ां से
याद हमारी यूं हो दिल में
जैसे रोशन महफ़िल हो शमां से
ऐसे जनाज़ा निकले अपना
जैसे विदा हो डोली मकां से
-हेमन्त रिछारिया
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