लब गर खुल जाते तो तेरी रुसवाई होती बहुत
ह्मने अश्क छिपा लिये जगहंसाई होती बहुत
थोडा ही सही मगर खुदा का खोफ़ तो है
वरना इस जहान मे तानाशाही होती बहुत
रोज़ो शब यादो का मेला लगा रह्ता है
नही तो मेरे घर मे तन्हाई होती बहुत
मेरे इश्क की डोर इतनी नाज़ुक नही सनम
मह्सूस तुझे होता गर आज़माई होती बहुत
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