Saturday 14 February, 2009

अश्क आँखों में फिर

अश्क आँखों में फिर लहराने लगे
भूले बिसरे वो दिन याद आने लगे

जब भी छेडा हमें चाँदनी रात ने
उनकी यादों से दिल बहलाने लगे

होती है अब खलिश सुनकर जिसे
देखिए वो गजल आप गाने लगे

ये जिंदगी क्या एक मेहमां सी है
मेरे कातिल मुझे समझाने लगे

भूल वो चुके ख्वाबे-गरां मानकर
बस हमें भूलने में जमाने लगे

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