अश्क आँखों में फिर लहराने लगे
भूले बिसरे वो दिन याद आने लगे
जब भी छेडा हमें चाँदनी रात ने
उनकी यादों से दिल बहलाने लगे
होती है अब खलिश सुनकर जिसे
देखिए वो गजल आप गाने लगे
ये जिंदगी क्या एक मेहमां सी है
मेरे कातिल मुझे समझाने लगे
भूल वो चुके ख्वाबे-गरां मानकर
बस हमें भूलने में जमाने लगे
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