उनकी नज़र उठे तो पयाम होता है
ख़ामोश लबों से भी कलाम होता है
वो मुकर जाते हैं इश्क से लेकिन
हथेली पे लिखा मेरा नाम होता है
हुस्न वाले सर इल्ज़ाम नहीं लेते
दीवाना मुफ़्त बदनाम होता है
शेख कहता है वो तंज़ करते हैं
हमारे लिए एहतराम होता है
ख़ामोश लबों से भी कलाम होता है
वो मुकर जाते हैं इश्क से लेकिन
हथेली पे लिखा मेरा नाम होता है
हुस्न वाले सर इल्ज़ाम नहीं लेते
दीवाना मुफ़्त बदनाम होता है
शेख कहता है वो तंज़ करते हैं
हमारे लिए एहतराम होता है
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