Tuesday 19 February, 2013

ग़ज़ल

नादानी थी जो तुझसे प्यार कर लिया
वादे पे तेरे हमने एतबार कर लिया

कहता था शेख तू ना आएगा इधर
फिर भी दर पे जा इंतज़ार कर लिया

ये मुहज़्ज़ब अदाएं;लबों के सादा बोल
इन पर दिल अपना निसार कर लिया

तूने बेदखल किया हर चीज़ से मुझे
यादों पे तेरी इख़्तियार कर लिया

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